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जज़्बाती दिल

इंसान अब इंसानियात खोते - खोते जा रहा है, अकेले ही गमों को ढोते - ढोते जिये जा रहा है, दर्द अब काटो की तरह दिल में चुबने लगा है । 

विधि के विधान को आखिर अब तक कोई समझ नहीं पाया है ।
कहते है, भगवान जिसे सफ़ेद वरदी में जान बचाते है उन्हें हम डॉक्टर कहते है।
कोई जान बचाकर परिवार को पूरा कर देते है। कुछ पैसों के लालच में वरदी को भूलकर कर्तव्य से पीछे हटे , मना गैर हैं वो हर मरिज़ के लिए मगर मुफ्त में इलाज कहाँ किया करते हैं ? एक परिवार जब अपना सर्वस्व देकर अपने अपनों की जान बचाने की कोशिश करता है भूख प्यास सब कुछ भूलकर अपनों की जान बचाने के खातिर खुद को ही भूल जाता है । 
फिर भी ना जाने क्यों लोग उनके इस दर्द को हथियार बना के लूट मचाया करते हैं 
रब ना करें अगर उनके साथ ये बुरा हाल होता आखिर क्या वो भी संभाल पाते ?
एक नन्हीं सी बच्ची को अपने पापा के खोने का दर्द कैसे समझ आएगा ?
 पापा का प्यार होता है क्या ? इतनी सी उम्र में आपने पापा को खोने का दर्द आखिर संभाल पाएगी क्या ? इतनी गद्दारी से वरदी का अपमान करते देश के प्रति गद्दारी आखिर रूह नहीं काँपती ? दिल जज़्बाती हैं , ये बात किसे शायद कुछ लोग भूल जाते है । इंसानियत ही हार जा रही है ये बात अगर केह दूँ तो गलत होगा 
हारा अगर इंसानियत होता तो ना कोई ऑटो वाहक आज ऑक्सीजन सिलेंडर लिए मुफ्त में मरिज़ो को हस्पताल पहुँचाता जो है आज उसी के ऊपर पुलिसवालों ने थोपा उसपर चालान है ।
वाह रे वाह ! ये लालची दुनिया एक जान बचाने के लिए जब गिरवी रखी अपने ही पत्नी के ज़ेवरातों को जहाँ उसके जज़्बे को सलाम कर इज्ज़त मिलनी चाहिए थी बीचारा आज भी वो बेमतलब के चलान में कर्ज में डूबा जा रहा था । रब ने सबको दिया है जो प्यारा सा दिल उसको ही कुछ लोग अपने जीने के लिए इस्तमाल कर रहे हैं । आज वो खुद भूल गया दुनिया बनती है अपनों से वो अकेले ज़िन्दगी जी कर अकेले कैसे जिंदा रह पाएगा। जीना मरना कहते है खुदा के हाथ है । आज ये बात को कितने लोगों ने गलत साबित है कर दिया जान बचाने वाले भी आखिर सब से इंसान ही हुआ करते है । दवा और दुआऐं दोनों तो आखिर इंसान ही किया करते है , बिन इंसानो के दुनिया में आखिर खुदा को याद करने वाले भी ज़रा सोचकर बताना कौन हुआ करते है ।
दिल दिया है , इंसान बनाया है रब ने ही ये बात सच है इस बात को भी हम मानते हैं
तो खौफ़ से आज़ाद  उन लोगों को कैसे समझाये अपनों के बिना ज़िन्दगी के मायने ही बदल जाते है । एक जवान लड़का भी आज घर चलाने के लिए नारियल पानी बेजा करता है । अब आप सोचोगे इस बात में अलग क्या कोई बात है ।जी हाँ ये भी एक इंसानियत की मिसाल है जो बीमार लोगों को उनके घर में मुफ्त में नारियल पानी देकर उनके स्वस्त की मंगल कामना करता है । ये है भारत देश हमारा जहाँ कहीं इंसानियत आज भी ज़िंदा है मगर इंसाफ के लिए आज भी दर दर की टोकरे खाकर ,
कहीं अपनों को बेवज़ह खोकर आँखे नम करके ज़िन्दगी अपने बच्चों की परवाह में बीता देनी है । आखिर  इंसानियत ने कहीं जगह जो दम है तोड़ लिया, कहीं दिल है तो जज़्बात भूलाकर सबको पीछे छोड़ दिया और अच्छी बातों को भूलाने में मजबूर कर दिया अब इंसान ही इंसान को देखने से है डर गया कुछ अपने हैं कुछ अपनों का साथ है इसीलिए आज भी कह सकते है ,
थोड़ा ही  सही अब थोड़ी इंसानियत  बाकी हैं   ।।

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14 Comments

sunanda

14-Mar-2023 05:22 PM

nice

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kashish

07-Feb-2023 08:41 PM

nice

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Babita patel

04-Feb-2023 05:18 PM

nice

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